The Definitive Guide to lyrics shiv chalisa

लै त्रिशूल शत्रुन को मारो । संकट से मोहि आन उबारो ॥

शिव चालीसा का पाठ करने से आपके कार्य पूरे होते है और मनोवांछित वर प्राप्त होता हैं।

स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥

नमो नमो जय नमो शिवाय । सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥

From Sati arrived the usage of the ritual “suicide” of widows who were being immolated by their spouse’s kin over the funeral pyre of their husband or wife, often because the spouse could divert Portion of the relatives fortune by marrying another guy, or by returning to her spouse and children and getting the original dowry with her.

शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥

त्रिपुरासुरेण सह युद्धं प्रारब्धम् ।

शिव पंचाक्षर स्तोत्र

सब सुख लहै तुम्हारी सरना। तुम रच्छक काहू को डर ना।।

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं। अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं।।

पाठ पूरा हो जाने पर कलश का जल सारे घर में छिड़क दें।

धन निर्धन को देत सदा हीं। जो कोई जांचे सो फल पाहीं॥

अर्थ: माता मैनावंती की दुलारी अर्थात माता पार्वती जी आपके बांये अंग में हैं, उनकी छवि भी अलग से मन को हर्षित करती है, तात्पर्य है कि आपकी पत्नी के रुप में माता पार्वती भी पूजनीय हैं। आपके हाथों में त्रिशूल आपकी छवि को और भी आकर्षक बनाता here है। आपने हमेशा शत्रुओं का नाश किया है।

अर्थ- हे भोलेनाथ आपको नमन है। जिसका ब्रह्मा आदि देवता भी भेद न जान सके, हे शिव आपकी जय हो। जो भी इस पाठ को मन लगाकर करेगा, शिव शम्भु उनकी रक्षा करेंगें, आपकी कृपा उन पर बरसेगी।

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